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मेरठ में सैनिक को कोबरा ने डसा, मिलिट्री हास्पिटल में बची जान

स्मार्ट विजन समाचार
मेरठ। भारतीय सेना के एक जवान की जान कोबरा के डसने के बाद भी समय पर इलाज मिलने से बच गई। 32 वर्षीय सैनिक लोकेश कुमार को केवल 40 मिनट में मेरठ मिलिट्री हास्पिटल पहुंचाया गया, जहां डाक्टरों की टीम ने तुरंत एंटी-स्नेक वेनम (एएसवी) देकर और वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखकर सैनिक की जिंदगी बचा ली।

अस्पताल लाए जाने के समय सैनिक के हाथ और बाजू में सूजन थी। थोड़ी ही देर में उन्हें बोलने और सांस लेने में कठिनाई होने लगी। स्थिति बिगड़ते देख डाक्टरों ने तुरंत इंट्यूबेशन किया और वेंटिलेटर पर रखा। सिर्फ एक घंटे में उठाए गए यह सभी कदम जीवनरक्षक साबित हुए। दो दिनों के भीतर जवान को वेंटिलेटर से हटा दिया गया और अब वह पूरी तरह स्वस्थ हो रहे है। यह घटना 30 अगस्त की दोपहर 1:45 बजे की है। वह अपनी यूनिट में ही टेलीफोन वायर को लेकर कुछ कार्य कर रहे थे जब सांप अचानक डस कर निकल गया था। सैनिक अस्पताल के वरिष्ठ सलाहकार (मेडिसिन) डा. कर्नल धीरज नाहवार ने बताया कि, कोबरा के डसने के कुछ घंटों में ही श्वसन तंत्र लकवाग्रस्त हो सकता है।

ऐसे मामलों में तुरंत अस्पताल पहुंचना ही जीवन बचाने की सबसे बड़ी कुंजी है। यह घटना एक बार फिर साबित करती है कि सर्पदंश के बाद सही और समय पर इलाज ही जिंदगी बचा सकती है। जानकारों के अनुसार मेरठ और दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में 24 प्रतिशत ज़हरीले और 76 प्रतिशत गैर-ज़हरीले सांप पाए जाते हैं। पहले सर्पदंश की घटनाएं ग्रामीण और कृषि क्षेत्रों में ही ज्यादा होती थीं, लेकिन अब शहरी और उप-शहरी इलाकों में भी मामले बढ़ रहे हैं।

जीवनरक्षक हैं यह सावधानियां
किसी भी सर्पदंश पर तुरंत अस्पताल पहुंचें। झाड़-फूंक या जड़ी-बूटी जैसे पारंपरिक उपचार से बचें। कई बार सूखा डंक (ड्राई बाइट) भी होता है, जिसमें जहर नहीं पहुंचता, लेकिन जांच कराना अनिवार्य है। एसवीए थेरेपी ही एकमात्र जीवनरक्षक उपाय है। समय ही जीवन है। ऐसे में यह ध्यान रखना जरूरी है कि 40 मिनट में अस्पताल, एक घंटे में वेंटिलेटर, यही बचाव का सबसे बड़ा माध्यम है।

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