भारत को कौशलयुक्त बनाने की दिशा में शिक्षा निभाती है महत्वपूर्ण भूमिका
आज के युग को देखते हुए, यह स्पष्ट है कि केवल शैक्षणिक डिग्री या योग्यता ही रोजगार का एकमात्र मापदंड नहीं है; वास्तव में, नौकरी प्राप्त करने के लिए उससे कहीं अधिक की आवश्यकता होती है।

स्मार्ट विजन समाचार
जॉन ड्यूई ने बहुत सुंदर रूप से कहा है कि शिक्षा जीवन के लिए तैयारी नहीं है, शिक्षा स्वयं जीवन है। शिक्षा केवल औपचारिक डिग्री प्राप्त करना नहीं है, बल्कि यह एक निरंतर सीखने और सुधार की प्रक्रिया है। इसका अर्थ यह है कि यदि कोई सीखना बंद कर देता है, तो आगे बढ़ना असंभव हो जाता है। आज के युग को देखते हुए, यह स्पष्ट है कि केवल शैक्षणिक डिग्री या योग्यता ही रोजगार का एकमात्र मापदंड नहीं है; वास्तव में, नौकरी प्राप्त करने के लिए उससे कहीं अधिक की आवश्यकता होती है। हमारे देश में युवाओं को उद्योग – उपयुक्त कौशलों से सुसज्जित करने के लिए कई प्रयास और पहलें की गई हैं, जिससे उनकी रोजगार – योग्यता में वृद्धि हो और वे राष्ट्रीय प्रगति में योगदान दे सकें।
इस स्वतंत्रता दिवस पर हमें भारतीय युवाओं को कौशलयुक्त बनाने जैसे महत्वपूर्ण विषय पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, ताकि भारत, जो कि दुनिया की सबसे युवा जनसंख्या वाला देश है (जिसमें 65% से अधिक लोग 35 वर्ष से कम आयु के हैं), इस जनसांख्यिकीय लाभ को एक सशक्त कार्यबल में बदल सके। एआई और डिजिटल परिवर्तन के इस युग में, कौशल विकास ही युवाओं को नियोक्ताओं की अपेक्षाओं के अनुरूप तैयार करने में सहायक होगा।
रायन ग्रुप ने सदैव अग्रणी रहते हुए कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रमों की शुरुआत की है जैसे — इंडियन मॉडल यूनाइटेड नेशंस, इंटरनेशनल थिएटर फेस्टिवल, रायन मिनीथॉन, रायन टीवी (इन-हाउस स्टूडियो के साथ मीडिया स्टडीज़) और अंतरराष्ट्रीय सांस्कृतिक विनिमय कार्यक्रम। वर्तमान में समय की आवश्यकता को देखते हुए और इंटर्नशिप कार्यक्रमों की महत्ता को स्वीकार करते हुए, रायन ग्रुप ऑफ स्कूल्स वरिष्ठ छात्रों के लिए इंटर्नशिप कार्यक्रमों को आरंभ करने वाला पहला समूह बन गया है। छात्रों को विभिन्न उद्योगों तथा स्टार्टअप्स के साथ अनुभव प्राप्त करने का अवसर दिया जा रहा है, जिससे उन्हें अपने रुचि-क्षेत्र की पहचान करने, भविष्य के लिए तैयार होने और जीवन में एक मजबूत शुरुआत करने में मदद मिल रही है। कौशल विकास के माध्यम से हमारा देश एक ठोस आधारशिला रख सकता है, जिससे हमारे युवा केवल नौकरी पाने योग्य नागरिक ही नहीं, बल्कि भविष्य के उद्यमी और व्यवसायी भी बन सकें।
वरिष्ठ विद्यालयों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में पढ़ने वाले युवाओं की यह ज़िम्मेदारी है कि वे संप्रेषण कौशल, रचनात्मक और समालोचनात्मक चिंतन, समस्या समाधान, निर्णय क्षमता, टीमवर्क, नेतृत्व क्षमता, नैतिक मूल्य और सामाजिक उत्तरदायित्व जैसे भविष्य-उन्मुख कौशल आत्मसात करें। अध्ययन यह संकेत करते हैं कि ये कौशल भी उतने ही महत्वपूर्ण हैं जितनी अकादमिक उपलब्धियां, ताकि व्यक्ति समाज में मूल्यवान योगदान देने वाले सफल नागरिक बन सकें। इस दृष्टिकोण से शिक्षा एक आनंददायक प्रक्रिया बन जाती है, जो जीवनभर चलती है, न कि केवल स्कूल तक सीमित रहती है। एक चीनी कहावत है: “अधिगम एक ऐसा खज़ाना है, जो उसके स्वामी का जीवनभर अनुसरण करता है।”
राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 जीवनभर सीखने पर बल देती है, जहाँ शिक्षा सभी व्यक्तियों के लिए एक निरंतर प्रक्रिया होनी चाहिए। यह प्रक्रिया औपचारिक शिक्षा के साथ कौशल विकास को एकीकृत करने, लचीलापन बढ़ाने और सभी के लिए सीखने के अवसर सुनिश्चित करने पर आधारित है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति और हमारे समय की आवश्यकताओं के अनुरूप, भारत को ऐसे जीवनभर सीखने वाले नागरिकों का पोषण करना होगा जो समाज-आर्थिक विकास में योगदान देने हेतु पर्याप्त रूप से कुशल हों। सभी देशवासियों को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक अन्नत शुभकामनाएँ।
डॉ. ए. एफ. पिंटो
चेयरमैन, रायन ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशन्स










